वर्ष 2007 में जोड़ तोड़ कर बनी सरकार को ऐसी नजर लगी कि आज प्रचंड बहुमत की सरकार भी डांवाडोल नजर आ रही है।
नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए विधायकों को एकजुट करना मेंढक तोलने जैसा हो गया है। शनिवार को विधायक दल की बैठक से बाहर निकल कर जिस अंदाज में सतपाल महाराज बाहर निकले, उससे साफ झलक गया था कि उन्हें पार्टी का फैसला असहज कर रहा है। शाम होते होते कुछ और नेता कोप भवन में चले गए। बहरहाल पार्टी ने अपने तंत्र को सक्रिय किया। नेता लोग डैमेज कंट्रोल में लगे। खुद धामी को महाराज के घर जाना पड़ा। धन सिंह प्रकट रूप से कुछ न बोले हों लेकिन बॉडी लैंग्वेज ने बहुत कुछ साफ कर दिया। बिशन सिंह चुफाल को मनाया गया, तो वे बोले मेरी कोई बात नहीं, उन दो लोगों को शांत कर लो। यानी हरक सिंह और महाराज।
नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर धामी निसंदेह युवा होने के साथ पूर्व सैनिक के पुत्र और पार्टी के कर्मठ सिपाही हैं। युवा चेहरे को आगे कर पार्टी ने युवाओं को एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की लेकिन वरिष्ठ नेताओं को यह रास नहीं आया। जाहिर है भाजपा ने अगले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर ही धामी पर दांव खेला होगा, लेकिन कई लोगों के अहम को इससे ठेस पहुंचना स्वाभाविक था।