धामी सरकार कहती नहीं बल्कि कर के दिखती है
उत्तराखंड के युवा ऊर्जावान मुख्यमंत्री पुष्कर धामी मदत करने की लिए आगे आई, जिन बच्चों के सर से इस कोरोना
काल में साया उड़ गया (अनाथ हो गए ) उनकी हिफाजत के लिए आगे आई धामी सरकार।
देहरादून। कोराना काल में अनाथ हुए बच्चों के जीवन निर्वहन और उनके भविष्य को संवारने के लिए राज्य सरकार द्वारा आज से मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का शुभारंभ किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने योजना का शुभारंभ करते हुए लाभार्थी बच्चों को चेक और प्रमाण पत्र बांटे गये।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जिन बच्चों ने कोरोना काल में अपने माता—पिता को खोया है उनकी भरपाई कर पाना तो संभव नहीं है लेकिन सरकार उनकी हर संभव मदद करेगी। उन्होंने कहा कि यह बच्चे उन्हें अपना मामा कह सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी ईश्वर से प्रार्थना है कि अब इन बच्चों की संख्या में और अधिक वृद्धि न हो। सरकार द्वारा शुरू की गई इस वात्सल्य योजना की मॉनिटरिंग करने और इसके सही क्रियान्वयन की जिम्मेवारी महिला एवं विकास विभाग की है।
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत अब तक राज्य में 2347 बच्चों को चिन्हित किया गया। पहले चरण में 1064 बच्चों को इसका लाभ मिलेगा। अभी कुछ जिलों से इसके डाटा नहीं मिले हैं जिसके कारण इस संख्या में बदलाव हो सकता है। इस योजना का लाभ उन सभी बच्चों को मिलेगा जिन्होंने मार्च 2020 से मार्च 2021 के बीच कोरोना के कारण अपने माता—पिता या अभिभावकों को खोया है। सरकार द्वारा हर माह इन बच्चों के खातों में 3000 नगद राशि जारी की जाएगी, जो उन्हें 21 साल की आयु पूरी होने तक दी जाएगी। यही नहीं इन बच्चों की पढ़ाई का सारा खर्च सरकार खुद उठाएगी। जिन बच्चों के पास अपना घर नहीं है सरकार द्वारा उन्हें घर मुहैया कराने की बात भी कही गई है।
निश्चित तौर पर यह योजना इन बच्चों के जीवन में नया सवेरा ला सकती है बशर्ते इसका निश्चित लाभ योजना कें अनुरूप उन तक पहुंचता रहे। कार्यक्रम में काबीना मंत्री रेखा आर्य और गणेश जोशी भी मौजूद रहे। लाभार्थियों ने सीएम को इस दौरान अपनी बनाई कुछ कलाकृतियां भी उन्हें भेंट की।
कोराना काल में अनाथ हुए बच्चों की हर संभव मदद करेगी धामी सरकार
परिसंपत्तियों की सुरक्षा भी सरकार करेगी
देहरादून। कोविड काल में अनाथ हुए बच्चों की परिसंपत्तियों की सुरक्षा की जिम्मेवारी भी सरकार ने ली है। इन बच्चों की परिसंपत्तियों को उनके बालिग होने तक कोई खरीद बेच नहीं सकेगा। सभी जिलों के जिलाधिकारियों को सरकार ने इसकी जिम्मेवारी सौंपी है।