रुद्रप्रयाग। हर बच्चे का सपना होता है कि मां बाप का साया उस पर हमेशा बना रहे. लेकिन सभी का ये सपना सच हो ये भी जरुरी नही है. जी हां हम बात कर रहे है उत्तराखंड की कपाणीया गांव की एक बेटी की. जिसका नाम खुशी है लेकिन खुशी नाम की इस बेटी के जीवन में खुशी मानों रुठ सी गयी हो. शायद भगवान को यही मजूर था. खुशी के सर से मां बाप का साया उजड़ गया। खुशी का माता पिता की गंभीर बीमारी के चलते देहांत हो गया है. जहां दो साल पहले खुशी से मां की ममता छीन गयी. तो वही 20 दिन पहले पिता का साया भी नही रहा. अब खुशी बेसहारा हो गयी है. बस अब उन्हे ताख रही है कि कौन उसका अपना हो सकता है. और अब सवाल यह है कि उसका लालन पालन कौन करेगा। यह दुख:द घटना जखोली-ग्राम पंचायत कपणिंया मे अनुसूचित जाती के परिवार मे जन्मी 9 साल की कुमारी खुशी जो कि अपने पिताजी के साथ हँसी खुशी के साथ खेलती थी । लेकिन इस नन्ही सी फूल जैसे बच्ची को क्या पता था कि एक दिन उसके पिता का साया उसके सर से छिन जायेगा। आपक़ो अवगत करा दे कि कपणिंया गाँव का रहने वाला स्व० रमेश दास जो कि महज 52 साल का थे. आज से लगभग 20 दिन पूर्व किसी बीमारी के चलते देहांत हो गया था, जिस कारण से रमेश लाल की मृत्यु हो जाने से उसकी बेटी कुमारी खुशी अनाथ हो गयी है कुमारी खुशी की माँ का भी दो साल पहले देहांत हो चुका है, इतनी सी उम्र में माता-पिता का गुजर जाना अब इस अनाथ बच्ची के लिए लिए चट्टान जैसे बन गया है, भले ही इसकी एक और एक बहन भी है लेकिन उसका कुछ साल पूर्व विवाह हो गया है और वह अपने ही ससुराल मे रहती है, अब इस अनाथ बच्ची के सामने उसके भरण-पोषण का सवाल पैदा हो गया ,आखिर 9 साल की बच्ची अब किसके सहारे जीयेगी,वही कपणिंया के प्रधान महावीर सिह पवांर का कहना है कि फिलहाल तो यह अनाथ बच्ची गाँव मे ही अपने रिशेतदारों के साथ गुजारा कर रही है,लेकिन अब रोटी कपड़ा सहित आर्थिक स्थिति भी पैदा हो गयी है आखिर अब इसके भरण-पोषण का जिम्मा कौन उठायेगा, क्या ऐसी विकट परिस्थितियों मे शासन-प्रशासन, या कोई समाजिक संगठन इस अनाथ , बेसहारा बच्ची की मदद करने के लिए आगे आयेगा. या खुशी यू ही दर-दर भटकती रहेंगी
- August 13, 2021
- by : Pahad Samvad
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