चमोली। हर साल की तरह इस साल भी नन्दा देवी की यात्रा अपने मायके सिद्धपीठ कुरुड़ से पैदल यात्रा निकलेगी ।
मां नंदा की डोली, ढोल दमाओ, छतोली निशान, व भांकोर के साथ कैलाश के लिए पैदल मार्ग से निकलेगी संपूर्ण चमोली जनपद नंदामयी हो जाएगा। मां नंदा की जगह-जगह छंतोली ओर डोली अपने भक्तों को दर्शन देंगी। मां नंदा की लोकजात यात्रा की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। सिद्घपीठ कुरूड़ मंदिर से मां नंदा की डोली 31 अगस्त को कैलाश के लिए विदा होगी। मां नंदा के यात्रा का खाका भी तैयार हो गया है। यात्रा समिति के अध्यक्ष भागवत सिंह बिष्ट, संरक्षक सुखवीर सिंह रौतेला और सचिव सुरेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि दशोली की मां नंदा की डोली 31 अगस्त को मंदिर परिसर से कैलाश के लिए प्रस्थान कर रात्रि प्रवास के लिए फरखेत गांव पहुंचेगी। यहां देवी की विशेष पूजा होंगी। इसके बाद डोली बिजार, जाखणी, कमेड़ा, गंडासू, तेफना, नंदप्रयाग, राजबगठी, पाणीगैर, बैरासकुंड, दाण मंदिर, पगना, ल्वाणी गांव से होते हुए 13 सितंबर को रामणी गांव पहुंचेगी। यहां बालपाटा बुग्याल में स्थित नंदा मंदिर में नंदा सप्तमी की पूजा संपन्न होगी। मंदिर समिति ने लोकजात में शामिल होने वाले सभी देवी भक्तों को कोरोना संक्रमण के तहत घोषित कोरोना गाइड लाइन का पालन करने को कहा है। यात्रा के दौरान डोली के साथ मात्र 10 देवी भक्त ही शामिल होंगे। निर्णय लिया गया कि जिस भी गांव में मां नंदा की डोली प्रवेश करेगी, उस गांव के रास्तों के रख रखाव और साफ सफाई का जिम्मा भी संबंधित गांव का होगा। मंदिर समिति ने जिला प्रशासन से भी आपदा से क्षतिग्रस्त रास्तों, पुलिया की मरम्मत की मांग उठाई है।