छठ महापर्व पर स्वच्छता का संकल्प, नगर निगम हरिद्वार एवं आईटीसी मिशन सुनहरा कल द्वारा चला विशेष स्वच्छता अभियान
छठ महापर्व पर स्वच्छता का संकल्प — गंगा की गोद में श्रम, स्वच्छता और श्रद्धा का संगम
नगर निगम हरिद्वार एवं आईटीसी मिशन सुनहरा कल द्वारा चला विशेष स्वच्छता अभियान
पवित्रता, आस्था और सूर्योपासना के प्रतीक छठ महापर्व के अवसर पर हरिद्वार नगरी में श्रद्धा और सेवा का अद्भुत संगम देखने को मिला। इस अवसर पर नगर निगम हरिद्वार एवं आईटीसी मिशन सुनहरा कल के संयुक्त तत्वावधान में एक व्यापक “स्वच्छता अभियान” संचालित किया गया, जिसका उद्देश्य था — गंगा तटों की निर्मलता बनाए रखना और श्रद्धालुओं में स्वच्छता के प्रति जन-जागरूकता उत्पन्न करना।

अभियान के अंतर्गत हाथी पुल, सुभाष घाट तथा धनुषपुल घाट पर विशेष सफाई अभियान चलाया गया। नगर निगम के निरीक्षक श्री सेमवाल जी एवं श्री संजय शर्मा के नेतृत्व में स्वयंसेवकों ने श्रमदान करते हुए घाटों की सफाई की और लगभग 700 किलोग्राम अपशिष्ट सामग्री एकत्र कर निस्तारण हेतु भेजी। यह प्रयास न केवल घाटों की स्वच्छता सुनिश्चित करने वाला था, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी और नागरिक चेतना का उत्कृष्ट उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।
कार्यक्रम के दौरान गीले और सूखे कचरे को पृथक-पृथक एकत्र कर वैज्ञानिक पद्धति से निस्तारण हेतु भेजा गया। स्वयंसेवकों ने श्रद्धालुओं से निवेदन किया कि वे पूजा-अर्चना के बाद घाटों पर कोई अपशिष्ट न छोड़ें और अपने आचरण से स्वच्छता का संदेश फैलाएँ।

इस अवसर पर घाटों पर स्वच्छता जागरूकता हेतु कैनोपी स्थापित की गई, जहाँ आने-जाने वाले श्रद्धालुओं को स्वच्छता के महत्व और गंगा की पवित्रता के संरक्षण की आवश्यकता से अवगत कराया गया। आईटीसी मिशन सुनहरा कल के स्वयंसेवकों ने यह प्रेरक संदेश दिया —
> “गंगा हमारी जीवनरेखा, संस्कृति की आत्मा और अस्तित्व की पहचान है। इसकी स्वच्छता और संरक्षण प्रत्येक नागरिक का पावन कर्तव्य है।”
इस अभियान में नगर निगम हरिद्वार व आईटीसी मिशन सुनहरा कल की सहयोगी संस्थाएँ — श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम, पीपल्स टू पीपल्स, हैंड फाउंडेशन, बंधन लोकमित्र एवं मैजिक बस — के स्वयंसेवकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इन सभी संगठनों के संयुक्त प्रयासों से घाटों की स्वच्छता, जन-जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता को नई दिशा मिली।
अभियान में सहभागियों ने न केवल अपने श्रम से घाटों की सुंदरता बढ़ाई, बल्कि स्थानीय नागरिकों को भी प्रेरित किया कि वे अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखने में सक्रिय योगदान दें।
कार्यक्रम के दौरान श्रद्धालुओं को यह बताया गया कि —
> “छठ केवल आत्मशुद्धि का पर्व नहीं, बल्कि पर्यावरणीय पवित्रता और सामूहिक अनुशासन का उत्सव भी है।”
सफाई अभियान के अंत में स्वयंसेवकों और नगर निगम के अधिकारियों ने यह संकल्प लिया कि —
> “हम सब मिलकर गंगा की निर्मल धारा और घाटों की स्वच्छता को बनाए रखेंगे। यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर ही नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक आस्था का प्रतीक है।
इस अवसर पर नगर निगम हरिद्वार तथा आईटीसी मिशन सुनहरा कल के सहयोग से संचालित यह अभियान यह सशक्त संदेश देता है कि जब समाज, प्रशासन और नागरिक एक साथ चलें, तो स्वच्छता केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जन-जन का आंदोलन बन जाती है।



