देहरादून। उम्मीद के मुताबिक धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड पर आखिरकार रोल बैक कर लिया है। तीर्थ पुरोहितों के दबाव के सामने धामी सरकार को झुकना ही पड़ा है।
आपको बता दें कि त्रिवेंद्र के सीएम रहते हुए देश के अन्य बड़े मठ मंदिरों का प्रबंधन जिस तरह से बोर्ड के माध्यम से होता है उसी तर्ज पर उत्त्तराखण्ड में भी चारधामों के लिए देवस्थानम बोर्ड गठित किया गया था।
अलबत्ता, बोर्ड के गठन कर बाद से ही इसका तीव्र विरोध हुआ जो आज तक जारी है। इसके बीच त्रिवेंद्र की कुर्सी भी चली गयी थी। फिर तीरथ जब कुर्शी पर बैठे तो उन्होंने ही सबसे पहले इसे भंग करने की बात कही। ये अलग बात है कि तीरथ कर रहते ऐसा नहीं हो पाया।
धामी सीएम बने तो तत्काल इसके भंग करने की मांग जोर पकड़ने लगी। इस बीच पखवाड़े भर पहले जब केंद्र ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर रोल बैक किया तो यह तय हो गया था कि देवस्थानम बोर्ड भी अब भंग होकर रहेगा।
दो दिन पहले देवस्थानम बोर्ड के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सीएम को दे दी थी। जिसके बाद से तय माना जा रहा था कि बोर्ड का भंग होना तय है। आखिरकार आज सीएम ने इसकी विधिवत घोषणा कर दी। बताया गया कि जल्द इसका प्रस्ताव कैबिनेट में लिया जाएगा।