राजपुर रोड, यहां बस्तियों की सियासत तय करती है हार-जीत का गणित
देहरादून। कहने को राजपुर रोड विधानसभा सीट दून की सबसे वीआईपी सीट में शुमार है लेकिन इस सीट पर जीत का गणित नदी किनारे बसी बस्तियां तय करती हैं। भाजपा कांग्रेस में इस बार भी दावेदारों की लंबी फौज खड़ी है। लेकिन प्रमुख दावेदार एक बार फिर कांग्रेस से राजकुमार तो भाजपा से सिटिंग विधायक खजान दास ही माने जा रहे हैं।
आपको बता दें कि राजपुर रोड विधानसभा सीट विविधता से भरी है। बाजारी इलाकों से लेकर तमाम पॉश कॉलोनियां हैं तो रिस्पना किनारे बसी बस्तियां भी। इन्हीं बस्तियों से इस सीट के उम्मीदवारों का भविष्य भी तय होता है।
आप इसे दुर्भाग्य कहिए या सौभाग्य लेकिन ये बस्तियां ही इस सीट की भाग्य विधाता बन चुकी हैं। नेताओं ने अपने लिहाज से दून की एक खूबसूरत नदी रिस्पना को बर्बाद कर इसके किनारे तमाम बस्तियां बसा डाली। आज यही बस्तियां वोटरों की सबसे बड़ी फसल साबित हो रही है।
नेताओं का खेल देखिये की बीते दो दशकों से भाजपा कांग्रेस दोनों बस्तियों को मालिकाना हक देने की बात हर चुनाव में करती हैं। पिछली दो सरकारों का कार्यकाल देखें तो पता चलता है कि बस्तितों पर सियासत के बाद दोनों सरकारों ने सत्ता में आने के बाद कागजों में कुछ दिनों तक मालिकाना हक का खेल खेलकर केवल भावनाओं को रौंदने का काम किया लेकिन आज तक कोई मालिकाना हक तो दूर पट्टा भी सरकार किसी के नाम नहीं काट पाई।
खैर, इस सीट पर इस बार कांग्रेस से जहां प्रबल व स्पष्ट तौर से पूर्व विधायक राजकुमार प्रबल दावेदार हैं तो कुछ और नेता भी टिकट मांग रहे हैं। इस सीट पर राजकुमार को जिताऊ कैंडिडेट समझा जा रहा है।
भाजपा से सिटिंग विधायक खजान दास की स्थिति बिल्ली के भाग्य से छींका वाली है। अगर कोई नामी कैंडिडेट इस सीट पर नहीं आया तो खजान का टिकट तय नहीं तो दावेदारों की फौज यहां बेहद लंबी है।
रिपोर्ट – अमित ठाकुर जी के पेज से