धामी ने 2023 में तैयार की ‘मिशन 2025’ की नींव
पिछले एक वर्ष में उत्तराखण्ड ने की निरन्तर प्रगति, कई ऐतिहासिक उपलब्धियां की हासिल
मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन में अग्रणी रहा राज्य
वर्ष 2023 उत्तराखण्ड के लिए उपलब्धियों से भरा रहा। इस एक वर्ष के दौरान राज्य ने न सिर्फ निरन्तर प्रगति की बल्कि कई क्षेत्रों में कीर्तिमान भी स्थापित किए। अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन में उत्तराखण्ड के अग्रणी रहने का श्रेय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जाता है। वास्तविकता यह है कि उत्तराखण्ड और पुष्कर सिंह धामी एक दूसरे की पहचान बन गए हैं। इसके पीछे उनका कठोर परिश्रम, स्व अनुशासन, संवेदनशीलता, परोपकार का भाव और राग द्वेष के बिना हर तबके की भलाई के लिए तेजी से कार्य करने की विशिष्ट शैली प्रमुख है।
23 मार्च 2022 को प्रदेश की कमान संभालने वाले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ध्येय वाक्य ‘विकल्प रहित संकल्प’ को आत्मसात कर एक ऐसी छवि बनाई जिसको तोड़ पाना मौजूदा दौर में विपक्ष के लिए नामुमकिन सा है। यूं तो किसी सरकार के कामकाज की समीक्षा के लिए सिर्फ एक वर्ष (2023) का समय पर्याप्त नहीं है किन्तु इस छोटी से अवधि में धामी ने जनता और प्रदेश के हित में अनेक कदम उठाए हैं। उन्होंने कार्यप्रणाली, नीतियों और मानदंडों में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए लोककल्याण से जुड़ी विभिन्न योजनाओं की शुरूआत की है। खासतौर पर भ्रष्टाचार को लेकर धामी जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रहे हैं। उनके नेतृत्व में राज्य सरकार “सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय”के सिद्धांतों और आदर्शों का अनुशरण करते हुए पारदर्शी तरीके से काम किया। धामी का मकसद साफ है और वो है 2025 तक उत्तराखण्ड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाना। अपने इस अभियान को पूरा करने के लिए 2023 में वह एक मजबूत नींव तैयार कर चुके हैं। इस अवधि में धामी सरकार के कामकाज में प्रदेश की निरन्तर प्रगति के लिए संकल्प, समर्पण और प्रयास का समावेश देखने को मिला।
उत्तराखण्ड में ऐसा पहली बार हुआ कि एक कार्यकाल पूरा करने के बाद किसी दल ने लगातार दूसरी बार अपनी सरकार बनाई। बीते 23 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर पुष्कर सिंह धामी ने यह इतिहास रच दिया था। कुर्सी संभालते ही मुख्यमंत्री धामी ने संकल्प लिया कि 2025 तक उत्तराखण्ड को देश को सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाना है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 नवम्बर 2021 को केदारनाथ धाम में आदिगुरू शंकराचार्य की मूर्ति का अनावरण करते हुए कहा था कि आने वाला दशक उत्तराखण्ड का होगा। धामी जानते हैं कि भाजपा हाईकमान खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन पर आंख मूंदकर भरोसा जताया है। मोदी के इस सपने को उन्हें हकीकत में बदलना है। इसके लिए उनकी ओर से वर्ष 2025 तक का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। धामी सरकार ने पिछले वर्ष 2023 में इस लक्ष्य को पाने के लिए ठोस आधार तैयार किया है। अब तक वो कई ऐसी पहल कर चूके हैं जो आगे चलकर उत्तराखण्ड की तरक्की में मील का पत्थर साबित होंगे। ‘समान नागरिक संहिता’ लागू करने को लेकर चुनाव से पूर्व किए अपने वायदे को पूरा करने की दिशा में उन्होंने महत्वपूर्ण कदम उठाया। धामी ने राज्य में समान नागरिक संहिता के क्रियान्वयन के लिये विशेषज्ञों की समिति बनाई जो यूनिफार्म सिविल कोड का ड्राफ्ट फाइनल कर चुकी है।
भ्रष्टाचार राज्य की आर्थिकी के लिए दीमक की तरह खतरनाक है। इस सच्चाई को समझते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री ‘भ्रष्टाचार मुक्त एप-1064’ का शुभारम्भ करके नौकरशाही को कड़ा संदेश दिया। अब तक वित्तीय अनियमितता, आय से अधिक सम्पत्ति व अन्य गड़बड़ियों में एक आईएएस, दो आईएफएस और एक आरटीओ को सस्पेंड किया गया है। कुल मिलाकर भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे 14 कार्मिक इस वक्त सलाखों के पीछे हैं। धामी सरकार इसी वर्ष राज्य में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून भी लेकर आई। कठोर कार्रवाई से सीएम धामी नकल माफिया के नेटवर्क को ध्वस्त कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री धामी जानते हैं कि देवभूमि उत्तराखण्ड की संस्कृति एवं शांतिपूर्ण वातावरण को बनाए रखने के लिये जरूरी है कि अराजक तत्व राज्य में प्रवेश न कर पाए। इसके लिये उन्होंने प्रदेशभर में व्यापक स्तर पर नागरिकों का सत्यापन अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं, जिस पर अमल शुरु कर दिया गया है। इसके अलावा धामी जनहित से जुड़े कई कल्याणकारी फैसले भी ले चुके हैं। निर्णय लिया गया है कि उत्तराखण्ड में वृद्धावस्था पेंशन योजना के अंतर्गत अब पात्र पति व पत्नी दोनों को लाभ मिल सकेगा। इतना ही नहीं वृद्धावस्था, निराश्रित विधवा भरण पोषण अनुदान तथा दिव्यांग पेंशन योजना के अंतर्गत प्रदत्त दर 1200 रूपये प्रतिमाह में 200 रूपये की वृद्धि की गई है। अब इनमें प्रतिमाह 1400 रूपये पेंशन प्राप्त होगी।
बुनियादी सुविधाओं के विकास पर भी मुख्यमंत्री धामी लगातार ध्यान दे रहे हैं। उनकी मजबूत पहल पर केंद्र सरकार ने एन.एच. 72 के पांवटा साहिब-बल्लूपुर (देहरादून) खण्ड के उन्नयन और फोर लेन के निर्माण के लिये 1093.01 करोड़ रूपये के बजट की स्वीकृति दी है। पर्वतीय क्षेत्रों में रोपवे नेटवर्क निर्माण के लिये पर्वत माला परियोजना का खाका तैयार कर लिया गया है। केदारनाथ, हेमकुण्ड साहेब आदि प्रमुख स्थानों पर रोपवे निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है। नगरीय क्षेत्रों में ट्रेफिक समस्या को दूर करने के लिये पार्किंग सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। सर्फेस पार्किंग के साथ ही मल्टीस्टोरी पार्किंग, केविटी पार्किंग व टनल पार्किंग भी विकसित किये जाने की योजना पर अमल शुरू हो चुका है।
महिला सशक्तीकरण धामी सरकार की प्राथमिकता में है। महिला स्वयं सहायता समूहों की सहायता के लिये एक विशेष कोष गठित करने का निर्णय ले लिया गया है। चुनाव पूर्व जनता से किया गया गरीबों को तीन सिलेण्डर मुफ्त देने का वायदा पूरा कर दिया गया है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखण्ड राज्य में संचार नेटवर्क की अहमियत धामी सरकार को पता है। लिहाजा, उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में 4जी/5जी मोबाईल नेटवर्क एवं हाई स्पीड ब्राडबैंड व फाइबर इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करायी जाने प्रस्तावत बन चुका है। किसानों का सामाजिक स्तर उठाने और उनकी आय दोगुना करने के उद्देश्य से पीएम किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर ‘सीएम किसान प्रोत्साहन निधि’ की शुरूआत की जा रही है।
साथ ही धामी सरकार उत्तराखण्ड को जैविक प्रदेश बनाना चाहती है, इसके लिए एक अखिल भारतीय बाजार बनाने के मकसद से बीते 8 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देहरादून में ‘उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023’ का शुभारंभ किया। इस मौके पर उत्तराखंड सरकार ने हाउस ऑफ हिमालयन ब्रांड को लॉन्च किया है, जिसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धामी सरकार को बधाई दी और बताया कि कैसे हाउस ऑफ हिमालयन ब्रांड ग्रामीण महिलाओं की आय का बड़ा साधन बन सकता है। इसी समिट में 3.5 लाख करोड़ के एमओयू साइन करके देश और दुनिया का ध्यान उत्तराखण्ड की ओर खींचा गया। इससे पहले जी 20 की बैठकों ने उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उत्तराखंड को जी 20 की तीन बैठकों के आयोजन का जिम्मा मिला, जिनका शानदार और सफल आयोजन करके मुख्यमंत्री धामी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरोसे पर खरे उतरे।
प्रदेश को वर्ष 2024 में आयोजित होने वाले 38 वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी भी इसी वर्ष उत्तराखण्ड को मिली है। राष्ट्रीय खेल पहली बार उत्तराखंड में हो रहे हैं। इस आयोजन के लिए इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन (आइओए) ने 34 खेलों की स्वीकृति प्रदान की है।
प्रदेश सरकार ने 2023 में ही महिला व राज्य आंदोलनकारियों को आरक्षण देने के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिया। सरकार ने राज्याधीन सेवाओं में महिलाओं को सीधी भर्ती में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण देने की व्यवस्था की है। इससे पूर्व महिलाओं का सामाजिक व आर्थिक स्तर बढ़ाने के लिए इन्हें सरकारी सेवाओं में आरक्षण शासनादेश के अनुसार दिया जा रहा था।
इसमें कोई दोराय नहीं कि उत्तराखण्ड के सीमीवर्ती गांवों के नागरिकों का देश की सुरक्षा में भी खासा महत्व है। उन्हें ‘सेंकेण्ड डिफेंस लाइन’ भी कहा जाता है। इस महत्व को समझते हुए मुख्यमंत्री धामी ने अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से सटे गांवों से पलायन रोकने और सुविधायें मुहैया करवाने की जोरदार पहल की है। इसके तहत ‘हिम प्रहरी योजना’ के जरिए राज्य के भूतपूर्व सैनिकों एवं युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के निकटवर्ती जिलों में बसने के लिये सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाएगी। इतना ही नहीं केन्द्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना में उत्तराखण्ड के 51 गांवों को शामिल करवाकर धामी ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
प्रदेश सरकार अब केदारखंड की तरह ही प्रदेश में एक और धार्मिक सर्किट मानसखंड मंदिर माला मिशन की दिशा में कार्य कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आदि कैलास की अपनी यात्रा के दौरान मानसखंड मंदिर माला मिशन के विजन पर मुहर लगाई। इसके पहले चरण में 16 मंदिर शामिल किए गए हैं।
वर्ष के आखिर में देहरादून में आयोजित छठवें विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन में जारी देहरादून घोषणा पत्र में हिमालय से जुड़ी इन चिंताओं को बखूबी उकेरा गया। इस सम्मेलन के माध्यम से समूची दुनिया की तरफ हिमालय का ध्यान खींचने में सफल रहा।
डबल इंजन का संबल उत्तराखंड को एक बार फिर मिला है। राज्य में चल रही डेढ़ लाख करोड़ की लागत वाली केंद्र पोषित परियोजनाओं के बाद दीपावली पर केंद्र ने बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध परियोजना का उपहार भी राज्य को दिया। वर्ष 1975 से अधर में लटकी इस परियोजना को अब जाकर धरातल मिलेगा। केंद्र सरकार ने पीएमकेएसवाई में 1730.20 करोड़ की इस परियोजना को स्वीकृति दी है। इसमें 90 प्रतिशत केंद्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश के रूप में मिलना प्रस्तावित है। राज्यांश की संयुक्त राशि के लिए उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश की सरकारें आपस में अनुबंध करेंगी।