हाईकोर्ट : प्रमुख सचिव शहरी विकास को अवमानना नोटिस जारी

उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव शहरी विकास को निकाय चुनाव में हीलाहवाली को लेकर दाखिल अवमानना याचिका में नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा है। मंगलवार को हुई सुनवाई में सरकार की तरफ से महाधिवक्ता एस.एन.बाबुलकर ने अपना पक्ष रखा।

पत्रकार और आंदोलनकारी राजीव लोचन साह की अवमानना याचिका में आज अधिवक्ता डी.के.जोशी ने मेंशन किया। महाधिवक्ता ने सरकार का पक्ष रखा तो वरिष्ठ न्यायमूर्ति मंनोज कुमार तिवारी ने प्रमुख सचिव शहरी विकास को नोटिस जारी करने को कहा।

न्यायालय में इसके अलावा जसपुर निवासी मो.अनीश व अन्य ने भी याचिका दाखिल कर प्रार्थना की है। याचिकाकर्ता द्वारा पी.आई.एल.दायर कर कहा गया कि नगर पालिकाओं और नगर निकायों का कार्यकाल 2 दिसम्बर को समाप्त हो गया था। लेकिन सरकार ने चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित नहीं किया, उल्टा निकायों में अपने प्रशासक बैठा दिए। प्रशासक नियुक्त होने की वजह से आमजन को कई समस्याएं हो रही हैं।

जबकि निकायों के चुनाव कराने और सरकार को याद दिलाने के लिए पूर्व में ही एक जनहित याचिका विचाराधीन है। जनहित याचिका में कहा है कि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि वो निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक नियुक्त करे। प्रशासक तब नियुक्त किया जाता है जब कोई निकाय भंग की जाती है। उस स्थिति में भी सरकार को छः माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है जबकि यहाँ विपरीत हो रहा है।

निकायों का कार्यकाल पूरा हो गया है, लेकिन अभीतक चुनाव का कर्यक्रम घोषित नहीं हुआ है। सरकार ने असंवैधानिक रूप से निकायों में अपने प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं। लोकसभा और विधानसभा के चुनाव निर्धारित समय में होते हैं, लेकिन निकायों के तय समय में क्यों नहीं होते ? नियमानुसार निकायों के कार्यकाल समाप्त होने से छ महीने पहले चुनाव का कार्यक्रम घोषित हो जाना था।

सरकार ने पुनः 2 जून को प्रशाशक बैठाने का आदेश जारी कर दिया जो न्यायालय मे दिए गए कथन का उलंघन है अब सरकार पर अवमानना की तलवार लटक गई है।

 Pahad Samvad

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