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उत्तराखंड

धामी सरकार ने जनहित और विकास से जुड़े कई फैसले लिये, बिपक्ष ने करि मुख्यमंत्री की सराहना,

बतौर मुख्यमंत्री धमाकेदार रहा मानसून सत्र।

– नाकाम किए विपक्ष के सभी वार।

– जनहित और विकास से जुड़े कई फैसले लिये।

उत्तराखण्ड विधानसभा का पांच दिवसीय मानसून सत्र मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए धमाकेदार रहा। शुरुआत से अन्त तक मुख्यमंत्री ने जमकर बैटिंग की। उन्होंने न सिर्फ विपक्ष के हर वार को नाकाम किया बल्कि ऑन स्पॉट कई लोकप्रिय फैसले किए। भविष्य के तय रोड मैप को धरातल पर उतारने के लिए 5762 करोड़ का अनुपूरक बजट भी पारित करवाया। खासी तवज्जो मिलने से विपक्ष भी मुख्यमंत्री का मुरीद हो गया। पांच दिन के सत्र में कई बार ऐसे मौके भी आए कि विपक्ष के विधायकों ने सीएम धामी की दिल खोलकर सराहना की।
विधानसभा का पांच दिवसीय सत्र मुख्यमंत्री धामी का बतौर मुख्यमंत्री पहला सत्र था। चूंकि 18 मार्च 2022 से पहले राज्य में नई सरकार का गठन होना है, लिहाजा यह मौजूदा सरकार का अंतिम सत्र भी माना जा रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री धामी पर सत्र के दौरान अपनी परफॉर्मेंस को लेकर काफी दवाब था, लेकिन उन्होंने दृढ़ इच्छाशक्ति और कार्य संस्कृति के बूते इस चुनौती को अवसर में बदल दिया। सदन में धामी ने ग्रेड पे के मामले में पुलिस कर्मियों को वचन दिया कि उनके साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। एक झटके में उन्होंने नंदा गौरा कन्याधन योजना की राशि पाने से वंचित तकरीबन 33 हजार कन्याओं के लिए 50 करोड़ की राशि देने का ऐलान कर दिया। केंद्र की तर्ज पर उन्होंने राज्य के लगभग तीन लाख राज्य कर्मियों व पेंशनर्स का 11 फीसदी डीए बढ़ाने में कोई लाग–लपेट नहीं की। राज्य की वित्तीय स्थिति से जुड़े ये निर्णय मुख्यमंत्री धामी की त्वरित निर्णायक क्षमता को प्रदर्शित करते हैं। इतना ही नहीं बिजली उपभोक्ताओं को बिल का एकमुश्त लंबित भुगतान करने पर फिक्स्ड और विलम्ब शुल्क की छूट दे दी। सत्र के दौरान सदन में पर्याप्त मौजूदगी के साथ ही शासन स्तर की बैठकों पर भी उनका फोकस रहा। सदन के बाहर और भीतर विपक्ष की बातों को भी उन्होंने पूरा सम्मान दिया। अपने मांगों को मानने के लिए पोस्टर और नारे का सहारा लेने वाले विपक्ष के विधायकों को दुलारते हुए उनकी मांगों के निस्तारण का गंभीर प्रयास किया। अधिकारियों को बुलाकर उनकी मांगों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के निर्देश भी दिए। संभवतया उत्तराखण्ड में किसी मुख्यमंत्री ने इस तरह की पहल पहली बार की है। भले ही धामी पहली बार मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं लेकिन सत्र के दौरान उनमें कहीं भी आत्मविश्वास और अनुभव की कमी नजर नहीं आई।

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