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डोडीताल को भगवान गणेश की जन्म भूमि माना जाता, भारत के खूबसूरत झीलों में एक

डोडीताल : उत्तराखंड के “उत्तरकाशी जिले” में स्थित डोडीताल, आकर्षित का केंद्र है।इस ताल मे दुर्लभ प्रजातियां मछलियां और बर्फीले बुग्याल  है ज़ो पर्यटकों  की पसंदीदा स्थान बनता जा रहा हैं।

डोडीताल  भारत के खूबसूरत तालों में एक

इस ताल को भारत के खूबसूरत तालों में एक माना जाता है। यह उत्तरकाशी ज़िले से 39 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहा पहुंचने के लिए 22 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है।

भगवान गणेश की जन्म भूमि

पौराणिक कथाओं के अनुसार इस ताल को भगवान गणेश की जन्म भूमि माना जाता हैं इसी वजह से इसे गणेश ताल या गणेश की झील  भी कहा जाता हैं. इस ताल की उत्पत्ति प्राकृतिक झरने और गंगा नदी के स्रोत से हुई है।

डोडीताल समुद्र तल  से 3,310 मीटर की ऊंचाई पर और उच्च पहाड़ों के बीच घिरी  हुई एक ताल है। यह ताल  शांत एवं सुन्दर वातावरण के वजह से उत्तर भारत के सबसे खूबसूरत उच्च ऊंचाई झीलों में से एक है। इस ताल का नाम दुर्लभ हिमालय ब्राउन ट्राउन प्रजाति की मछलियों के नाम से रखा गया है। यह बताया जाता है कि रियासत काल में कुछ विदेशी पर्यटकों ने इस झील में ब्राउन ट्राउन मछलियां पनपाई थी।

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  •  यहां माता अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर हैं जहां गणेशजी अपनी माता के साथ विराजमान हैं।

डोडीताल को भगवान गणेश की जन्म भूमि माना जाता, भारत के खूबसूरत झीलों में एक

 

 

  •  यह भी मन्यता है कि केलसू, जो मूल रूप से एक पट्टी है (पहाड़ों में गांवों के समूह को पट्टी के रूप में जाना जाता है) का मूल नाम कैलाशू है। इसे स्‍थानीय लोग शिव का कैलाश बताते हैं। केलसू असी गंगा नदी घाटी के 7 गांवों को मिलाकर बना है।

 

  • मान्यता यह भी है कि डोडीताल मध्‍य कैलाश में आता था और डोडीताल गणेश की माता और शिव की पत्‍नी पार्वती का स्‍नान स्‍थल था।

 

  •   स्‍वामी तपोवन ने मुद्गल ऋषि की लिखी .मुद्गल पुराणके अनुसार हिमगिरी विहार में भी डोडीताल को गणेश का जन्‍मस्‍थल होने की बात लिखी है।

 

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