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इस ‘मर्ज’ की कोई तो दवा करो सरकार…

ब्यूरोक्रेसी में पद की ताकत जब घमंड, रौब, उत्तेजना, ठाठ बाट, निरंकुशता और उन्माद में तब्दील हो जाए तो किसी की भी योग्यता, आत्मसम्मान और व्यक्तित्व का अनादर होना निश्चित है । राजकीय मेडिकल कालेज देहरादून की एशोसिएट प्रोफेसर डा. निधि के साथ यही हुआ, वह राज्य की सीनियर ब्यूरोक्रेट चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य सचिव पंकज पाण्डेय का शिकार सिर्फ इसलिए हो गयीं क्योंकि उनकी पत्नी को डा. निधि का स्वाभिमान रास नहीं आया । पत्नी की नाराजगी से तिलमिलाये सचिव साहब ने तत्काल डा. निधि का तबादला देहरादून से अल्मोड़ा कर दिया ।

उत्तराखंड के लिए यह नया नहीं है। पंकज पाण्डेय और उन जैसे कुछ दूसरे नौकरशाहों के यहां हर रोज सैकड़ों लोगों के आत्मसम्मान के साथ खिलवाड़ होता है। छोटे कर्मचारियों से लेकर और मझौले अधिकारी तक इस तरह की निरंकुशता का शिकार होते हैं । कोई नौकरी खोने के डर से तो कोई परिवार और समाज के कारण नौकरशाहों की गुलामी बर्दाश्त कर रहा है।

डा. निधि इसमें अपवाद रहीं जिन्होंने क्षमायाचना नहीं की बल्कि प्रतिकार किया। उन्होंने न खुद का स्वाभिमान गिरने नहीं दिया और न पेशे का सम्मान । सचिव के तबादला आदेश के प्रतिउत्तर में उन्होंने सरकार को अपने पद से ही इस्तीफा सौंप दिया। बहरहाल बात बढ़ी और सवाल उठने लगे तो सरकार ने आनन फानन में डाक्टर का तबादला आदेश स्थगित कर दिया और एक जांच बैठा दी।

असहज सरकार को इस कदम से फौरी राहत तो मिली होगी लेकिन मर्ज ज्यों का त्यों है ? राज्य की ब्यूरोक्रेसी बीमार है । क्या गारंटी है कि इस जांच का हश्र एनएच घोटाले की जांच सरीखा नहीं होगा ? क्या गारंटी है कि अब कोई नौकरशाह अपने पद का दुरूपयोग नहीं करेगा ?

कहते हैं बात निकलगी तो दूर तक जाएगी। हाल ही में राजकीय दून मेडिकल कालेज की एसोसिएट प्रोफेसर डा. निधि के कंडिशनल इस्तीफे ने राज्य की ब्यूरोक्रेसी को बेनकाब कर दिया है । बता दें कि चिकित्सा शिक्षा सचिव पंकज पाण्डेय ने डा. निधि का तबादला देहरादून मेडिकल कालेज से अल्मोड़ा कर दिया था । डाक्टर ने इस आदेश के विरोध में इस्तीफा लिखा तो मामला ब्यूरोक्रेसी की सनक का निकला ।

पता चला कि डा. निधि का तबादला सामान्य प्रक्रिया नहीं बल्कि सचिव साहब की व्यक्तिगत नाराजगी का नतीजा है । नाराजगी भी यह कि डा. निधि ने सचिव की पत्नी के अभद्र व्यवहार पर आपत्ति जतायी और इसके लिए खेद भी व्यक्त नहीं किया । बकौल डा. निधि मेडिकल कालेज प्रबंधन के निर्देश पर वह अस्पताल में मरीजों को छोड़कर चिकित्सा शिक्षा सचिव की पत्नी के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए उनके आवास पर पहुंची ।

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