देशभर में प्रदूषित नदी क्षेत्रों की संख्या 302 बढ़कर 351 हो गई। साल 2015 मे 302 और 2018 मे अब 351 हो गई है। यह जानकारी केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने लोकसभा में सवाल के जवाब में दी । केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPBC) द्वारा जारी रिपोर्ट के आधार पर यह जानकारी दी।
केंद्रीय जल शक्ति राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा:
केंद्रीय ने जल शक्ति राज्यमंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि नदियों में सबसे ज्यादा प्रदूषण कि वजह गंदे नालों एवं सीवर का पानी है। इसके साथ ही तेजी से बढ़ते शहरीकरण व औद्योगिकीकरण भी इसके लिए जिम्मेदार है। मंत्री ने आगे कहा कि कुछ विशेषज्ञों ने नदियों के जलप्रवाह में कमी को लेकर चिंता जताई है, लेकिन जलप्रवाह के आंकड़ों पर निगरानी रखने वाले केंद्रीय जल आयोग ने विगत वर्षों की स्थिति का अध्ययन किया है और उसने कहीं पर भी जल की उपलब्धता में कमी का संकेत नहीं दिया है।
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पटेल ने कहा कि आयोग के अनुसार बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और लोगों की बदलती जीवनशैली से देश में प्रति व्यक्ति सालाना जल उपलब्धता में कमी आई है। उन्होंने बताया कि 351 प्रदूषित नदी क्षेत्रों को 5 प्राथमिकता वर्ग में श्रेणीबद्ध किया गया है।
प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना (एनआरसीपी) के अंर्तगत देश के 16 राज्यों में 77 नगरों के 34 प्रदूषित नदी क्षेत्रों को लाया गया है और वहां सीवेज ट्रीटमेंट के लिए 59650.90 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। नदियों को प्रदूषण मुक्त करने की विभिन्न परियोजनाओं के लिए नमामी गंगे परियोजना के तहत भी 30,235 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।