सीएम धामी की पहल: ग्रामीणों द्वारा पिरूल एकत्र करने से जंगलों को मिलेगी सुरक्षा, बढ़ेगा रोजगार
सीएम धामी की पहल: ग्रामीणों द्वारा पिरूल एकत्र करने से जंगलों को मिलेगी सुरक्षा, बढ़ेगा रोजगार
देहरादून, 15 मई 2024: उत्तराखंड में जंगलों में लगने वाली आग की रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा शुरू की गई पहल रंग ला रही है। धामी सरकार ने जंगलों में आग लगने का प्रमुख कारण बनने वाली चीड़ के पेड़ों की सूखी पिरूल (घास) के निस्तारण के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
इस योजना के तहत, ग्रामीणों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे जंगलों से पिरूल इकट्ठा करें और उसे सरकार को बेचें। सरकार ₹50 प्रति किलो की दर से पिरूल खरीद रही है।
यह पहल न केवल वन्य जीवन को आग से बचाने में मददगार होगी, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी।
पहल के लाभ:
जंगलों में आग की घटनाओं में कमी: पिरूल जंगलों में जमा होने से आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। इसे हटाने से आग लगने की घटनाओं में कमी आएगी।
वन्यजीवों की सुरक्षा: जंगलों में आग लगने से वन्यजीवों का जीवन खतरे में पड़ जाता है। पिरूल हटाने से वन्यजीवों को सुरक्षा मिलेगी।
ग्रामीणों के लिए रोजगार: पिरूल इकट्ठा करने और बेचने से ग्रामीणों को अतिरिक्त आय का साधन मिलेगा।
पर्यावरण संरक्षण: पिरूल का उपयोग बिजली उत्पादन और अन्य उद्योगों में किया जा सकता है, जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होगी।
यह पहल उत्तराखंड सरकार द्वारा वन संरक्षण और ग्रामीण विकास के लिए की गई एक महत्वपूर्ण पहल है।
पिरूल लाओ-पैसे पाओ अभियान: सरकार द्वारा शुरू किया गया यह अभियान ग्रामीणों को पिरूल इकट्ठा करने और बेचने के लिए प्रोत्साहित करता है।
पिरूल के उपयोग: पिरूल का उपयोग बिजली उत्पादन, पेपरबोर्ड बनाने, और ईंधन के रूप में किया जा सकता है।
अभियान का प्रभाव: इस अभियान से जंगलों में आग की घटनाओं में कमी आई है और ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिले हैं।
यह पहल दर्शाती है कि कैसे एक छोटी सी पहल भी बड़ा बदलाव ला सकती है।