अफगानिस्तान में कई भारतीय अपने वतन से दूर हैं लेकिन जैसे ही तालिबान के द्वारा अफगानिस्तान में कब्जा किया गया उसके बाद से वहां काबुल में फंसे भारतीयों को वापस अपने वतन लाने के लिए भारतीय वायुसेना का विमान सी-17 ग्लोबल मास्टर गत शाम हिंडन एयर फोर्स स्टेशन पहुंचा और विमान के हिंडन में उतरते ही सुबह से अपने का इंतजार कर रहे लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।औऱ लोगों ने भारत माता की जय के नारे लगाते हुए काबुल से लौटे भारत तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों और अन्य लोगों पर फूल बरसाकर स्वागत किया।भारतीय वायुसेना के विमान सी-17 ग्लोबमास्टर ने करीब 120 लोगों को लेकर अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से मंगलवार सुबह उड़ान भरी। सुबह करीब 11 बजे विमान जामनगर पहुंचा। उधर, सुबह दस बजे से ही हिंडन एयरफोर्स स्टेशन के बाहर मीडिया और लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया।वायुसेना और आइटीबीपी के अधिकारी भी एयरफोर्स स्टेशन पहुंचे और वहां से लौटने वालों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की तैयारी की। शाम करीब पांच बजे विमान हिंडन के रनवे पर उतरा। कुछ देर बाद काबुल स्थित भारतीय दूतावास में राजदूत रुद्रेंद्र टंडन एयरफोर्स स्टेशन से अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए। इसके बाद बसों और कारों से करीब सौ लोग बाहर आए। लोगों ने आइटीबीपी की बसों पर फूल बरसाकर उनका स्वागत किया।
1990 में भी हुए थे कुवैत में ऐसे हालात
मुस्लिम कंट्रीज में हमारे देश के कई भारतीय काम करते हैं और कई भारतीय हमारे देश का नाम रोशन भी किया है कई बार विश्व के अलग-अलग कोने में काम कर रहे भारतीय अक्सर कामयाबी के बाद अपने देश को भूल जाते हैं लेकिन उनका देश कभी उन्हें नहीं भूलता शायद यह बात बिल्कुल सच है क्योंकि कहते हैं जब इंसान की सितारे बुलंदी पर हो ततो वह अपनी कामयाबी को याद रखता है लेकिन उसे किस ने आगे बढ़ाया या वह कहां का रहने वाला है उसे भूल जाता है और अपनी एक अलग ही दुनिया में बसने की कोशिश करता है अब आप सोचेंगे कि आज हम इस प्रकार की बात क्यों कर रहे हैं क्योंकि अफगानिस्तान में जिस प्रकार से हालात बने हुए हैं इसको देखते हुए वहां फंसे हर भारतीय को इस समय अपने देश में वापस आने की उम्मीद जगी हुई है और वह अपने वतन में वापस आना चाहते हैं लेकिन क्या आपको पता है।
इस हालात होने से पहले भी कुछ ऐसे ही हालात कुवैत में हुए थे जब वहां फंसे भारतीयों को हमारी भारतीय सरकार के द्वारा एयरलिफ्ट किया गया था शायद यह बहुत कम भारतीयों को इस समय याद होगा कि कुवैत में भी एक समय ऐसा था जब वहां की सरकार सद्दाम हुसैन के आगे अपने घुटने टेक कर वहां से भाग खड़ी हुई थी और वहां फंसे हुए कुवैतियों और भारतीय को उनके हाल पर छोड़ दिया था। यह मामला है सन 1990 का जब इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर तेल के लिए देर रात हमला कर दिया। जिसके बाद सद्दाम हुसैन की फौज के आगे कुवैत की सरकार ने घुटने टेक दिए थे जिसके बाद उन्होंने अपना कुवैत इराक के सद्दाम हुसैन के हवाले छोड़ दिया लेकिन वहां फंसे कुवैतियों व भारतीयों की जिंदगी दांव पर लगी थ।