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Lbsna में अमृत महोत्सव डिजिटल प्रदर्शनी का शुभारंभ

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में आयोजित अमृत महोत्सव डिजिटल प्रदर्शनी एवं आजादी का अमृत महोत्सव सेमिनार का उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की, एवं परिसर में 22 राज्यों द्वारा लगाए गए हस्तकला स्टालों का अवलोकन किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन व प्रेरणा से “मिशन कर्मयोगी” के अन्तर्गत एवं संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के साथ समृद्ध भारतीय संस्कृति की व्यापक स्तर पर प्रचारित-प्रसारित करने हेतु डिजिटल प्रदर्शनी के माध्यम से एक महत्वपूर्ण पहल की जा रही है। उन्होंने प्रशिक्षुओं को सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि आप लोग “आजादी का अमृत महोत्सव” वर्ष में प्रशिक्षण प्राप्त कर “मिशन कर्मयोगी” के तहत अपना काम शुरू करेंगे। उन्होनें कहा आगामी 25 वर्ष में यह देश जितना विकास करेगा, उसमें बहुत बड़ी भूमिका आप सभी अधिकारियों की होगी। भारतीय सिविल सेवकों को और भी अधिक रचनात्मक, सृजनात्मक, विचारशील, नवाचारी, अधिक क्रियाशील, प्रगतिशील, ऊर्जावान, सक्षम, पारदर्शी और प्रौद्योगिकी समर्थ बनाते हुए भविष्य के लिए तैयार करना “मिशन कर्मयोगी” का मुख्य लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देश की आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर हम आज उत्सव मना रहे हैं, जिसे आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने आजादी का अमृत महोत्सव नाम दिया गया है। उन्होनें कहा यह समय ना केवल इस देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर बलिदानियों को नमन करने का है बल्कि उनके सपनों को साकार करने का भी है। उन्होनें सभी स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए कहा की हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां उनके द्वारा किए संघर्ष की सदा सर्वदा ऋणी रहेंगी। उन्होनें कहा आजादी का यह अमृत महोत्सव ना केवल उनके द्वारा किए गए त्याग को पुनः स्मरण करने का अवसर है बल्कि उनके सपनों को याद करते हुए नवीन संकल्पों को लेने का भी अवसर है। उन्होनें प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी भारत के जन-जन को कर्तव्य के लिए जागरूक करके, इस देश में बहुत बड़ा बदलाव ला सकते है। उन्होनें कहा आप सभी को इस देश के अलग अलग हिस्सों में जाकर कर्तव्य भावना का विस्तार करना है, जन-जन में कर्तव्य बोध जागृत करना है। फल या लाभ की चिंता किए बिना कर्म को कर्तव्य भाव से, सेवा भाव से करने में ही आंतरिक शांति मिलती है। बिना फल की अपेक्षा किए, ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाओ, इसमें यह भाव छिपा है कि यदि आप फल की इच्छा को केंद्र में रख कर किसी कर्तव्य का वहन करेंगे तो कहीं ना कहीं आप पर एक अवांछित दबाव बना रहेगा। सामाजिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दो महत्वपूर्ण कारक होते हैं, पहला नेतृत्व कौशल और दूसरा कुशल प्रबंधन ।

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