हिमालयी उत्पाद को बढ़ावा दे रहे एम० पि० एस० बिष्ट

गुच्छी मशरूम यानी एक प्रकार का कवक कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका औषधीय नाम मॉर्केला एस्क्यूलेटा है। हालांकि यह देशभर में स्पंज मशरूम के नाम से मशहूर है। गुच्छी मशरूम स्वाद के मामले में बेजोड़ मशरूम है ।इसे स्थानीय भाषा में छतरी, टटमोर या डुंघरू कहा जाता है। गुच्छी हमारे उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी, चमोली, चम्पावत व पिथौरागढ ज़िलों के अतिरिक्त चंबा, कुल्लू, शिमला, मनाली समेत हिमाचल प्रदेश के कई जिलों के जंगलों में कुदरती रूप से पाई जाता है। विगत वर्षों में इसके अंधाधुंध विद्धोहन होने की वजह से यह अब काफी कम मात्रा में मिलती है। यह काफी महंगी सब्जी है।इसका सेवन सब्जी के रूप में किया जाता है।इसमें विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन सी एवं डी और कुछ जरूरी एमीनो एसिड पाए जाते हैं।इसे लगातार खाने से दिल का दौरा पड़ने की संभावनाएं बहुत ही कम हो जाती हैं, आँतों में होने वाले कैंसर जेसै भयानक बिमारी को रोकने में यह बहुत ही कारगर सिद्ध हुई है ।इसकी मांग सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि यूरोप, अमेरिका, फ्रांस, इटली और स्विट्जरलैंड जैसे देशों में भी है।बाहरी दलाल गाँवों से मात्र ४-५ हजार रुपये प्रति किलो की दर से यह मशरूम बड़े बड़े पंच सितारा होटल से लेकर अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में इसकी क़ीमत 30,000 रुपये प्रति किलो तक बेचते हैं।हिमालयी क्षेत्र के ऊंचे पर्वतीय इलाकों में यह गुच्छी बर्फ पिघलने के तुरन्त बाद उगती है।माना जाता है कि इस सब्जी की पैदावार पहाड़ों पर कभी-कभी बिजली की गड़गड़ाहट और चमक के साथ साथ नमीयुक्त काली मिट्टी वाली व बर्फ से ढके घने जंगलों के बीच में भी होती है। गुच्छी की तलाश में ग्रामीण वर्फ पिघलते ही अपने राशन पानी व तम्बुओं के साथ उच्च हिमालयी बुग्यालों में अपना डेरा जमा कर जंगलों के आसपास घास के बीच में पैदा होने वाली इस गुच्छी को ढूंढने के लिए पैनी नजर के साथ ही कड़ी मेहनत करते है।ऐसे में ज्यादा मात्रा में गुच्छी हासिल करने के लिए ग्रामीण सुबह से ही गुच्छी को ढूंढने में जुट जाते हैं।गुच्छी को लेकर आलम यह है कि इससे मिलने वाले अधिक मुनाफे के लिए कई ग्रामीण इस सीजन का बेसब्री से इंतजार करते हैं ।
गौरतलब है कि लगभग २५००-३५०० मीटर की ऊँचाई वाले पहाड़ी भूभाग में मार्च से जुलाई के महीने में प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाली इस गुच्छी की जहां पैदावार कम होने से इसके ग्रामीणों को अच्छे दाम मिलते हैं।वहीं, कई बीमारियों की दवाइयों के लिए इसकी मांग अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में इसकी माँग दिन प्रतिदिन काफी बढ़ती जा रही है।परन्तु मित्रों इसकी कुछ एक प्रजाती जैसे, गाइरोमित्रा इस्कुलेंटा जो कि दिखने में समान परन्तु उनके ऊपरी भाग यानी कैप, मस्तिष्क के आकार का होता है । जो कि बहुत ही जहरीला होता है । अतः मेरी सलाह है कि सही जानकारी के बाद ही इसका सेवन करने की कोशिश करें।हाल ही में किये शोध के परिणाम कुछ इस प्रकार है।

 Pahad Samvad

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