पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी कभी पहाड़ के काम नहीं आती, ये कहावत काफी हद तक सटीक बैठती है लेकिन अब ऐसा नहीं
पहाड़ का पानी भी पहाड़ के काम आ सकती है और जवानी भी, यहाँ पे पहाड़ के उत्पाद को बेचने के लिए छोटे छोटे ग्रोथ सेण्टर खोलने पड़ेंगे जिससे पहाड़ के लोगो को पहाड़ में ही रोजगार मिल सके, पहाड़ के लोगो को थोड़ा प्रोत्साहन करनी की जरुरत होती है, पिछले लॉकडाउन में काफी प्रवासी भाइयो ने पहाड़ में ही स्वरोजगार के अवसर ढूंढे है
यहाँ की सरकार ने कह तो दिया था की हम प्रवासी भाइयों को लोन देंगे लेकिन लोन की प्रक्रिया ऐसी रखी की प्रवासी भाई लोन ले ही नहीं पाया, बैंक बोलता है हमारे पास इस तरह का कोई आदेश नहीं आया यदि आपको लोन चाहिए तो आपको जमीन या माकन के कागज गिरवी रखने होंगे
मजबूरन प्रवासी फिर रोजगार के वास्ते बहार निकने को मजबूर हो गया, ये पलायन रोकने का अच्छा तरीका था उत्तराखंड सरकार के पास पलायन रोकने का जो की पूर्ण तरह बिफल हो गया
पहाड़ में यदि पलायन को रोकना है तो पहाड़ में छोटे छोटे उधोग खोलने पड़ेंगे लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करना पड़ेगा