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गंगा की गोद में गूंजा श्रमदान का बिगुल — श्रद्धा, सेवा और स्वच्छता का अद्भुत संगम

छठ पर्व के समापन पर स्वच्छता का महाअभियान

गंगा की गोद में गूंजा श्रमदान का बिगुल — श्रद्धा, सेवा और स्वच्छता का अद्भुत संगम

नगर निगम हरिद्वार एवं आईटीसी मिशन सुनहरा कल द्वारा दो दिवसीय व्यापक स्वच्छता अभियान का सफल संचालन

आस्था, अनुशासन और पर्यावरणीय चेतना के प्रतीक छठ महापर्व के अवसर पर हरिद्वार की पवित्र धरती पर गंगा तटों ने एक अद्भुत दृश्य देखा — जहाँ श्रद्धा की आरती के साथ सेवा और स्वच्छता का दीप भी प्रज्वलित हुआ।

नगर निगम हरिद्वार एवं आईटीसी मिशन सुनहरा कल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित “बृहद स्वच्छता अभियान” ने यह सशक्त संदेश दिया कि छठ केवल सूर्योपासना का पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी, पर्यावरणीय अनुशासन और जन-भागीदारी का उत्सव भी है।

पहले दिन – गंगा तटों पर स्वच्छता का सृजन

27 अक्टूबर को हाथी पुल, सुभाष घाट एवं धनुषपुल घाट पर विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया।

नगर निगम के निरीक्षक श्री सेमवाल जी एवं श्री संजय शर्मा के नेतृत्व में स्वयंसेवकों ने श्रमदान करते हुए घाटों से लगभग 700 किलोग्राम अपशिष्ट सामग्री एकत्र कर उसका पर्यावरण-अनुकूल निस्तारण सुनिश्चित किया।

घाटों पर स्थापित स्वच्छता जागरूकता कैनोपी में श्रद्धालुओं को गंगा की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रेरित किया गया और उन्हें बताया गया कि

> “गंगा हमारी जीवनरेखा, संस्कृति की आत्मा और अस्तित्व की पहचान है। इसकी स्वच्छता और संरक्षण प्रत्येक नागरिक का पावन कर्तव्य है।”

समापन दिवस – श्रम और समर्पण का उत्कर्ष

28 अक्टूबर को छठ पर्व के समापन पर हरिद्वार के गंगा घाटों पर श्रमदान का अद्भुत उत्सव देखने को मिला।

हाथी पुल एवं विष्णु घाट पर वरिष्ठ स्वच्छता इंस्पेक्टर श्री अर्जुन जी एवं श्री अशोक कुमार के मार्गदर्शन में स्वयंसेवकों ने श्रमदान करते हुए लगभग 900 किलोग्राम अपशिष्ट सामग्री एकत्र कर वैज्ञानिक पद्धति से निस्तारित की।

स्वयंसेवकों ने गीले और सूखे कचरे को पृथक-पृथक एकत्र कर यह उदाहरण प्रस्तुत किया कि अनुशासन और वैज्ञानिक दृष्टिकोण ही स्वच्छता अभियान की रीढ़ हैं।

विष्णु घाट पर आयोजित जागरूकता संवाद के दौरान श्रद्धालुओं को यह प्रेरक संदेश दिया गया —

> “गंगा हमारी धरोहर है — इसकी स्वच्छता हमारी जिम्मेदारी। जब हम गंगा को स्वच्छ रखते हैं, तब हम अपनी संस्कृति और आने वाली पीढ़ियों को भी सुरक्षित रखते हैं।”

सहयोगी संस्थाओं की सशक्त भागीदारी — सामूहिक चेतना की मिसाल

इस दो दिवसीय अभियान की सफलता में आईटीसी मिशन सुनहरा कल की सहयोगी संस्थाओं – श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम, तथा लोकमित्र, के कार्यकर्ताओं ने नगर निगम हरिद्वार के साथ मिलकर सक्रिय सहभागिता निभाई।

इन संस्थाओं के समन्वित प्रयासों से न केवल घाटों की स्वच्छता सुनिश्चित हुई, बल्कि जन-जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता को भी नई ऊर्जा मिली।

स्वयंसेवकों ने घाटों पर उपस्थित श्रद्धालुओं से संवाद कर यह संदेश फैलाया कि छठ केवल आत्मशुद्धि का पर्व नहीं, बल्कि पर्यावरणीय पवित्रता और सामूहिक अनुशासन का उत्सव भी है।

स्वच्छता से सेवा – सेवा से संस्कार

अभियान के समापन पर नगर निगम अधिकारियों, स्वयंसेवकों और सामाजिक संस्थाओं ने यह सामूहिक संकल्प लिया कि—

> “हम सब मिलकर गंगा की निर्मल धारा और हरिद्वार के घाटों की स्वच्छता को सदैव बनाए रखेंगे। यह केवल हमारी जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और आस्था का प्रतीक है।”

यह दो दिवसीय महाअभियान इस बात का जीवंत उदाहरण बन गया कि जब प्रशासन, समाज और नागरिक एकजुट होकर कार्य करें, तो स्वच्छता कोई कार्यक्रम नहीं रह जाती —

वह संवेदना, संस्कृति और सामूहिक चेतना का आंदोलन बन जाती है।

स्वच्छ गंगा – निर्मल हरिद्वार

स्वच्छ हरिद्वार – सुंदर हरिद्वार

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