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UCC करता है सभी के लिए एक समान कानून की वकालत, कुछ लोग फैला रहे भ्रांतियां, हकीकत में ऐसा कुछ नहीं, जानिए पूरी सचाईं

यूसीसी करता है सभी के लिए एक समान कानून की वकालत

कुछ लोग फैला रहे भ्रांतियां, हकीकत में ऐसा कुछ नहीं

देहरादून। यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लागू करने वाला उत्तराखंड बहुत जल्द देश का पहला राज्य बनने वाला है। इसके लिए अब महज तारीख का इंतजार है। यूसीसी लागू होने से पहले ही इसे लेकर बहस और चर्चाओं का दौर शुरू है। कुछ धर्म विशेष के लोगों में इसे लेकर भ्रांतियां हैं। कुछ राजनीतिक पार्टियां भी इन भ्रांतियों को फैला रही हैं। जबकि यूसीसी का सार यह है कि देश में सभी धर्मों के लिए एक समान कानून।
समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम भी हो रहा है। सोशल मीडिया पर भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। ऐसे लोगों को यह जान लेना चाहिए कि देश के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है।
यूसीसी को लेकर एक तबका दावा कर रहा है कि इसमें मुस्लिम समुदाय और महिलाओं के अधिकारों का अतिक्रमण किया जा रहा है। यह भी भ्रांति है कि मुस्लिमों व ईसाइयों को भी शादी के तरीके बदलने होंगे। शवों को दफनाने की जगह जलाना अनिवार्य होगा। जबकि असलियत यह है कि यूसीसी से किसी भी धर्म की धार्मिक मान्यताएं, रस्में, रीति रिवाज, पहनावे या पूजा-पाठ प्रभावित नहीं होंगे। स्पष्ट है कि हत्या, लूट, डकैती, चोरी या दुष्कर्म जैसे मामलों में सभी के लिए एक कानून लागू होता है, उसी तरह शादी, तलाक, संपत्ति पर अधिकार, गोद लेना या गुजारा भत्ता आदि के लिए भी एक कानून लागू होगा।
आदिवासी समुदायों को सदियों की अपनी परंपराएं नहीं बदलनी पड़ेंगी। जबकि आदिवासियों को संविधान में जो संरक्षण प्राप्त है, वही रहेगा। एक बात यह फैलाई जा रही है कि यूसीसी महिलाओं के अधिकारों का अतिक्रमण करेगा। जबकि यह तथ्य ठीक विपरीत है। यूसीसी में महिलाओं को चाहे वह किसी भी धर्म या जाति की हों उन्हें सशक्त और समानता का अधिकार देने की बात कही जा रही है। महिलाओं को पुश्तैनी जमीन में बराबर का अधिकार मिलेगा।

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