बमोली-दशमेरी के ग्रामीण दूषित जल का सेवन करने को हैं मजबूर

चैलूसैण-देवीखेत मोटर मार्ग पर बमोली-दशमेरी की सीमा को अलग करने वाले जल स्रोत पर वाहनों की आवाजाही के लिए पुल का निर्माण हुआ है। इसी जल स्रोत से दशमेरी व बमोली के लिए पेयजल की लाइने जाती है। जिससे दोनों गांवो के दर्जनों ग्रामीणों के लिए पेयजल आपूर्ति होती है। लेकिन दुर्भाग्य से स्रोत के मुहाने पर जैविक-अजैविक कूड़े का ढेर लग रहा है।

अस्पतालों व चिकन-मटन की दुकानों से निकलने वाले कूड़े का ढेर दिन प्रतिदिन लगातार बढ़ता जा रहा है।जिससे दोनों गांवो के निवासियों को पेयजल लाइन के माध्यम से दूषित जल का उपयोग करने को मजबूर होना पड़ रहा है। इससे उनके स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ेगा ये तो भविष्य की गर्त में छुपा है। उक्त स्थान से स्थानीय बाजार चैलूसैण बिल्कुल नजदीक है। यहां सरकारी व निजी दोनों प्रकार के अस्पताल भी है, तथा चिकन-मटन की दुकानें भी है।

 

ये कूड़ा यही से निकलकर पुल के ऊपर से स्रोत में गिराया जा रहा है। यदपि दोनों पक्ष इससे अपना पल्ला झाड़ रहा है। लेकिन क्या शासन-प्रशासन को इसपर ध्यान देकर संज्ञान नही लेना चाहिए। आखिर चुप्पी क्यो सादी जा रही है। दोनों गांव के निवासियों को क्यो दूषित जल का सेवन करने को मजबूर किया जा रहा है। इस कूड़े के ढेर को जमा करने वालो की पहचान कर उनके खिलाफ उचित कार्यवाही की मांग दोनों गांव बमोली व दशमेरी की जनता कर रही है।

 

दशमेरी के भूतपूर्व प्रधान अर्जुन सिंह रावत,बर्तमान प्रधान सुजाता देवी, बमोली के भूतपूर्व प्रधान कोमल चंद्र, उप प्रधान कपिल देव सहित दोनों गांव के निवासियों ने इसपर स्थानीय व क्षेत्रीय प्रशासन से अपील की है कि तत्काल संज्ञान लेते हुए उचित कदम उठाया जाए, अन्यथा धरना प्रदर्शन किया जाएगा।

दशमेरी गावँ के समाजसेवी राजेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि उन्होंने भी कई बार लोकल प्रशासन से इस विषय मे बात की पर कोई नतीजा नही निकला।

 पहाड़ संवाद

पहाड़ संवाद में आपका हार्दिक स्वागत है। प्रदेश की लेटेस्ट ख़बरों के लिए हमारे साथ जुड़ें रहें। धन्यवाद ( टीम पहाड़ संवाद )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *