आखिरकार वही हुआ, जिसका अंदाजा पहले से था। पांच राज्यों में चुनावी हार के बाद दिल्ली में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी को अध्यक्ष पद पर बने रहने का फैसला किया गया। रविवार की शाम को हुई चार घंटे तक चली इस मैराथन बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल हुए। वहीं असंतुष्ट धड़े जी-23 के नेता गुलाम नबी आजाद आदि भी बैठक में पहुंचे थे।
काग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए। गहलोत के अलावा कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार जैसे वरिष्ठ नेता ने भी अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार को अपना समर्थन दिया था।
सूत्रों के मुताबिक, सोनिया गांधी के नेतृत्व में सीडब्ल्यूसी ने भरोसा जताया है।
उनसे संगठनात्मक बदलाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया गया है। सूत्रों के अनुसार, नेतृत्व के प्रति भरोसा जताते हुए प्रस्ताव पारित किया गया है और संगठनात्मक बदलावों को आगे ले जाने का निर्णय लिया गया। सूत्रों की ओर से यह भी कहा गया है कि कांग्रेस दोबारा से चिंतन शिविर आयोजित करेगी। इसकी तारीखों को लेकर जल्द निर्णय किया जाएगा। कांग्रेस का आखिरी चिंतन शिविर 2013 में जयपुर में आयोजित किया गया था।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई है। पंजाब में तो उसने सत्ता गंवा दी। पंजाब में कांग्रेस सिर्फ 18 सीटों पर सिमट गई है। जबकि 403 सीटों वाले यूपी में उसे सिर्फ दो सीटें मिली हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यहां चुनाव अभियान की कमान अपने हाथों में ली थी। प्रियंका गांधी ने यूपी में महिला वोटरों को अपनी ओर खींचने के लिए ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ जैसा बड़ा कंपेन भी चलाया था।