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भीषण गर्मी से वनाग्नि से सबसे ज्यादा धधक रहे हिमालयी राज्य

भीषण गर्मी से वनाग्नि से सबसे ज्यादा धधक रहे हिमालयी राज्य

हिमाचल प्रदेश में 3 दिन के भीतर 364 वनाग्नि की घटनाओं से हुआ बड़ा नुकसान

पूर्वोत्तर के पहाड़ी राज्य मेघालय, अरुणाचल से लेकर मिजोरम और असम तक वनाग्नि की घटनाएं

उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में सबसे ज्यादा वनाग्नि की घटनाओं को दिखा रही मीडिया

सरकार की छवि को धूमिल करने के कुत्सित प्रयास कर रहे विपक्षी

देहरादून। इस साल देशभर में भीषण गर्मी से वनाग्नि की घटनाएं बढ़ी हैं। सीमांत राज्य उत्तराखंड के साथ ही पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में लगातार वनाग्नि की घटनाएं हो रही है। जबकि प्रमुख हिमालयी राज्य भी वनाग्नि की घटनाओं से अछूते नहीं है। ऐसे में साजिश के तहत कुछ लोग राजनीतिक नफा नुकसान के लिए सिर्फ उत्तराखंड को टारगेट कर मीडिया में सरकार को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं।

देश में भीषण गर्मी के कारण पहाड़ से लेकर मैदान तक आग बरस रही है। गर्मी ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बढ़ती गर्मी से जहां आम जन जीवन प्रभावित है, वहीं, गर्मी के कारण वनाग्नि की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। खासकर पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम से लेकर त्रिपुरा तक के जंगल आग की चपेट में हैं। जबकि मैदानी राज्य मध्यप्रदेश से लेकर राजस्थान में भी वनाग्नि की घटनाएं बढ़ी हैं। अकेले हिमाचल प्रदेश में पिछले तीन दिन में 20 सालों में सर्वाधिक 364 वनाग्नि की घटनाएं हुई हैं। जबकि 2023 में 681 से ज्यादा घटनाएं हुई थी। हिमाचल प्रदेश में हर जिले में वनाग्नि से वन संपदा को नुकसान हुआ है। इसी तरह उत्तराखंड में चीड़ का जंगल और साउथ फेसिंग पहाड़ी के कारण आग की घटनाएं हो रही हैं। यहां सरकार ने शुरू में वनाग्नि पर पूरी तरह से काबू पा लिया था। लेकिन जून प्रथम सप्ताह की भीषण गर्मी ने फिर वनों को आग की चपेट में ला दिया है। सरकार ने पहले से ही राज्य में चीड़ की पत्तियों को 50 रुपये किलो खरीदने की योजना लागू की गई हैं। इससे करीब 3 हजार मेट्रिक टन चीड़ की पत्ती एकत्र भी की जा चुकी हैं। लेकिन अल्मोड़ा की दुःखद घटना से सरकार ने फिर वनाग्नि पर प्रभावी रोकथाम के प्रयास तेज कर दिए हैं। स्वयं सहायता समूह, ग्रामीणों और वन पंचायत की मदद से वनाग्नि रोकने को कारगर कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन राजनीतिक नफा नुकसान को लेकर कुछ लोग सोशल मीडिया और अन्य माध्यम से वनाग्नि की घटना सिर्फ उत्तराखंड में दिखाकर सरकार को टारगेट करने की साजिश रच रहे हैं। जबकि देशभर में हिमालयी राज्यों में भड़की आग किसी को नहीं दिख रही है। बहरहाल, वनाग्नि की बढ़ती घटनाओं पर काबू पाने के लिए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने सेना से लेकर हर तरह की मदद का ऐलान पूर्व में किया जा चुका है। ऐसे में इत्तेफाक से दुःखद घटना को देखते हुए भविष्य में वनाग्नि रोकथाम को बड़े कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

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