चमोली : पहाड़ के दूरस्थ इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान भरोसे।
सड़क न होने से गर्ववती महिला को 5 किलोमीटर दूर पालकी से सड़क तक लाये ग्रामीण।
उत्तराखंड में स्वास्थय की समस्या तो बहुत बड़ी है लेकिन स्वास्थ्य मंत्री काफी छोटे (कद) थे ,सायद इसी लिए दुरस्त छेत्रों में स्वास्थ्य की समस्या दुरस्त नहीं हो सकी।
दो दिन पहले एक खबर चमोली जिले के देवाल विकासखंड के रैन गांव की थी यहाँ एक 7 महीने की बच्चे को स्वास्थ्य सेवा ना मिलने से दम तोड़ दिया था। सुबह बच्चे की तबीयत खराब हो जाने से परिजन बच्चे को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र देवाल हॉस्पिटल में ले गए जहां ताला लटका हुआ मिला उसके बाद बच्चे को थराली हॉस्पिटल ले गए जहां पहुंचते ही बच्ची ने दम तोड़ दिया।
और दूसरी खबर आज चमोली जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र नन्द प्रयाग घाट के प्राणमती की है, यहाँ एक महिला को प्रसव पीड़ा उठी तो सड़क ना होने के कारण स्थानीय लोगों द्वारा कुर्सी पर बिठाकर डंडों के सहारे महिला को सड़क तक लाया गया । यह पहली घटना नहीं है यहां पर गांव में किसी का स्वाद खराब हो जाता है तो गांव के लोग द्वारा इसी तरह से पीड़ित को कुर्सी के सहारे ही सड़क तक पहुंचाया जाता है । चमोली जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्र विकासखंड घाट के ग्राम पंचायत कनोल के प्राणमती गांव में सड़क न होने के कारण आज भी यहाँ के लोग काफी दूर पैदल चलकर स्वास्थ्य शिक्षा के लिए काफी दूर तक चलकर संघर्ष करना पड़ता है। रात में किसी का स्वास्थ्य खराब हो जाए तो भगवान भरोसे।
राजनेता कई आए कई गए लेकिन आज भी प्राणमती क्षेत्र तक सड़क नहीं पहुंच पाई ,वोट मांगने नेता तो पहुंच जाते हैं और आश्वासन कर जाते कि हमारी सरकार बनी तो सबसे पहले पहाड़ में स्वास्थ्य और शिक्षा और सड़क का ख्याल रखा जाएगा लेकिन यह वादे ही रह जाते हैं उत्तराखंड मैं दलबदल सरकारें आती रही हैं लेकिन धरातल पर काम नहीं हो पाता, ताजी खबर नंदप्रयाग घाट के कनोल प्राण मती से है यहां गांव की महिला को प्रसव पीड़ा की बात गांव के लोग पालकी बनाकर 5 किलोमीटर दूर पैदल चलकर सड़क तक पहुँचाया उसके बाद स्थानीय लोगों द्वारा एम्बुलेंस बुलाई गई। सितेल से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र घाट जाते हुए एंबुलेंस में महिला ने बच्चे को जन्म दिया। जच्चा बच्चा को अब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घाट में रखा गया है।
बताया गया है कि प्राणमती गांव की करिश्मा पत्नी राजेंद्र कुमार को तड़के प्रसव पीड़ा हुई। सड़क सुविधा ना होने के कारण ग्रामीणों ने महिला को आनन-फानन में कुर्सी की पालकी बनाकर 5 किलोमीटर दूर पैदल चलकर सड़क तक पहुंचाया यहां से एंबुलेंस के द्वारा पीड़िता को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घाट पहुंचाया गया हालांकि एंबुलेंस पहुंचने के बाद को 9 से 15 किलोमीटर दूर महिला ने एंबुलेंस में ही बच्चे को जन्म दिया। इसे चमोली जिले सुदूरवर्ती गाओं के लोगों की विडंबना कहे या यहाँ की सरकार उदासीनता। सरकार द्वारा सुदूरवर्ती गांव को सड़क से जोड़ने के लगातार दावे किए जाते हैं चुनाव के दौरान सरकार अपनी उपलब्धियों में भी इसे शामिल कर लेती है मगर ग्रामीण क्षेत्रों की यातायात व्यवस्था आज भी कागजों से निचे धरातल पर नहीं उत्तरी। प्राणमति ग्राम प्रधान सरस्वती देवी का कहना है कि विगत वर्ष 2018 में चौटाला कनोल 15 किलोमीटर सड़क को स्वीकृति मिल चुकी है कहा कि वह मुख्यमंत्री की घोषणा में शामिल है। 4 साल बाद भी इस सड़क का निर्माण प्रारंभ नहीं हुआ जबकि ग्रामीण कई बार शासन प्रशासन से इस संबंध में पत्र भी कर चुके हैं ग्राम प्रधान का कहना है कि सड़क न होने के कारण यहां परसों के दौरान कई महिलाओं रास्ते में ही दम तोड़ देती हैं कई बीमार घायल स्थिति में समावेश हो जाते हैं यह घटना अकेली चमोली जिले की नहीं है ।