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हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद करीब 8000 से ज्यादा परिवारों को तगड़ा झटका लगा था, क्योंकि, ये वो परिवार थे, जो नजूल नीति 2009 के तहत सरकार को तयशुदा शुल्क देकर जमीन पर स्वामित्व ले चुके थे, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे लोगों को भी इस जमीन से स्वामित्व खोना पड़ा

देहरादून: उत्तराखंड में नजूल भूमि के फ्री होल्ड पर पूरी तरह से रोक लगाने के आदेश जारी हो गए हैं। प्रदेश में नजूल भूमि को फ्री होल्ड कराने पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। उच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों के क्रम में शासन ने यह कदम उठाया है।
शासन के इस आदेश से प्रदेश के हजारों लोगों को बड़ा झटका लगा है। हालांकि, राज्य सरकार को हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद यह फैसला लेना पड़ा है। इस तरह अब राज्य में नजूल नीति 2021 नजूल भूमि के फ्री होल्ड को लेकर अप्रभावी हो गई है।
नजूल भूमि के फ्री होल्ड पर लगी रोक

उत्तराखंड के मैदानी जिलों में रहने वाले हजारों लोगों को शासन के एक आदेश से तगड़ा झटका लगा है। मामला नजूल भूमि के फ्री होल्ड से जुड़ा हुआ है जिसके तहत नजूल भूमि पर रहने वाले लोग इस भूमि को फ्री होल्ड नहीं करवा पाएंगे। इस संदर्भ में शासन ने मंडलायुक्त और जिलों के जिलाधिकारियों को सूचना भेज दी है।
विवादों में रहा नजूल भूमि के फ्री होल्ड का मामला

उत्तराखंड में नजूल भूमि के फ्री होल्ड का मामला शुरू से ही विवादों में रहा है. तमाम सरकारों ने नजूल भूमि के फ्री होल्ड को लेकर जनता से वादे भी किए और समय-समय पर राज्य सरकार ने इसको लेकर कुछ कदम भी उठाए हैं, लेकिन यह मामला बार-बार न्यायिक पचड़ों में फंसने के कारण विवादों में आता रहा है।
क्या है नजूल भूमि
खास बात ये है कि नजूल भूमि राज्य में कई लोगों को लीज पर दी जाती रही है हालांकि, बड़ी संख्या में लोगों ने ऐसी नजूल भूमि पर कब्जे भी किए हैं. नजूल भूमि उसे जमीन को कहा जाता है, जो आजादी से पहले अंग्रेजों ने रियासतों के राजाओं से उनकी हार के बाद कब्जे में ले ली थी, लेकिन आजादी के बाद रियासतों से जुड़े राज घराने इससे जुड़े कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाए।
नजूल भूमि को फ्री होल्ड के जरिए ऐसे लोगों को इसका स्वामित्व देने का प्रयास राज्य सरकार की ओर से किया गया है, जो इसमें काबिज हैं. इसके लिए इन लोगों को कुछ नियत शुल्क जमा करना होता है और इसके बाद इस भूमि पर इन्हीं लोगों का स्वामित्व माना जाता है। इसके लिए नजूल नीति 2009 पूर्व में लाई गई थी, लेकिन इसे तब हाई कोर्ट नैनीताल में चुनौती दी गई।
जून 2018 में हाईकोर्ट ने करार दिया था असंवैधानिक
जून 2018 में हाईकोर्ट ने नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने की इस नीति को ही असंवैधानिक करार दे दिया था। इसमें कहा गया कि सरकारी भूमि को इस तरह कब्जा धारी को स्वामित्व के रूप में नहीं दिया सकता।

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद करीब 8000 से ज्यादा परिवारों को तगड़ा झटका लगा था, क्योंकि, ये वो परिवार थे, जो नजूल नीति 2009 के तहत सरकार को तयशुदा शुल्क देकर जमीन पर स्वामित्व ले चुके थे, लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के बाद ऐसे लोगों को भी इस जमीन से स्वामित्व खोना पड़ा ।

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