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गंगोत्री शीट का इतिहास, जिसकी शीट उसकी सरकार, क्या जीत पाएंगे कोठियाल

गंगोत्री: इस बार का विधानसभा का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है कल आम आदमी पार्टी ने तय करा है की वे कर्नल कोठियाल को गंगोत्री शीट से चुनावी मैदान में उतरेंगे। गंगोत्री शीट का आज तक का इतिहास रहा है जिस भी दल का गंगोत्री से विधायक बनता है उसी दल की राज्य में सरकार बनती है।
विधानसभा चुनाव बढ़ती तारीखों के साथ नजदीक आते जा रहे हैं। इनके पास आते ही पार्टियां अपने पत्ते खोल रही हैं। आम आदमी पार्टी ने तो पहले ही सीएम चेहरे के लिए कर्नल अजय कोठियाल का नाम घोषित कर दिया था।
आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने कर्नल अजय कोठियाल के गंगोत्री सीट से लड़ने की घोषणा कर दी है। हो ना हो, कर्नल कोठियाल के यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद सीट हॉटसीट बन गई है। हालांकि हमेशा से भाजपा और कांग्रेस के पाले में झूलती रही इस सीट पर आप का जीत तक का सफर आसान नहीं होने वाला है।
गंगोत्री सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा था। मगर विधायक गोपाल सिंह रावत का निधन हो गया था। तभी से यह सीट खाली चल रही है। बता दें कि राज्य के गठन के बाद से यह सीट एक भी बार भाजपा या कांग्रेस के अलावा किसी तीसरे के पास नहीं गई। इसलिए फिलहाल तो इस सीट पर हवा आम आदमी पार्टी के खिलाफ प्रतीत हो रही है। कांग्रेस के विजयपाल सिंह सजवाण इस सीट से पहले (2002) विधायक थे। इसके बाद साल 2007 चुनावों में भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने गंगोत्री सीट पर कब्जा किया। 2012 में दोबारा कांग्रेस के विजयपाल सिंह सजवाण ने जीत हासिल की तो वहीं साल 2017 में भाजपा के गोपाल रावत एक बार फिर यहां से विधायक बने थे।
कुछ आंकड़े बेहद खास होते हैं। ठीक कुछ सीटों की तरह। गंगोत्री सीट से एक ऐसा इतिहास या कहें कि मिथक जुड़ा है जो जेहन में हिचकोले मारता ही है। दरअसल इस सीट से जो विधायक बनता है, अंत में उसी की पार्टी प्रदेश में सरकार बनाती है। ये रिवायत अब कि नहीं बल्कि साल 2002 में हुए पहले चुनावों से चली आ रही है।
साल 2002 और साल 2007 में कांग्रेस के विजयपाल सिंह सजवाण यहां से विधायक रहे तो दोनों ही बार कांग्रेस ने सत्ता हासिल की। इसके अलावा साल 2007 और 2017 के चुनावों में भाजपा के गोपाल सिंह रावत ने गंगोत्री सीट से चुनाव जीता और भाजपा ने पूरे उत्तराखंड में बहुमत हासिल कर सरकार बनाई। इस बार देखना दिलचस्प होगा कि समीकरण किस तरह के रहते हैं। माना जा रहा है कि गोपाल रावत के निधन के बाद भाजपा उनकी पत्नी को चुनाव में उतारने की तैयारी कर रही है।

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