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देहरादून से निकली मिलेट क्रांति साइकिल रैली अपने अंतिम पड़ाव मुन्दोली पहुंची

देहरादून से निकली मिलेट क्रांति साइकिल रैली अपने अंतिम पड़ाव मुन्दोली (देवाल) पहुंची

गांव वासियों ने रैली का किया भभ्य स्वागत।

स्थानीय उत्पादों की लगाई गई प्रदशनी।

पहाड़ की बेटी सुमन ने उठाया मिलेट क्राँति का जिम्मा।

देश की सबसे लंबी मिलेट साइकिल रैली आयोजित कर रचा इतिहास।

 

देवाल: देश की सबसे लंबी और पहली मिलेट क्रांति साइकिल रैली का समापन हो गया है। मिलेट क्राँति के परिपेक्ष में यह देश की पहली अनोखी साइकिल रैली है जिसने तीन दिन लगभग 300 किमी की दूरी तय कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। देहरादून की “नथुली महिला सशक्तिकरण संस्था” की संस्थापक सुमन नैनवाल ने इसकी शुरुआत की है। सुमन पेशे से एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। सुमन ने अपने पहाड़ प्रेम को लेकर भारत की प्रथम व सबसे लम्बी मिलेट क्राँति साइकिल रैली -300 किमी (मोटे अनाजों के रख रखाव, खानपान, तथा व्यवसायिक उत्पादन हेतु स्वयं सहायता समूहों तथा ग्रामीण लोगो में जागरूकता के लिए ) का आयोजन करने की पहल की है।

शुक्रवार 14 अप्रैल को देहरादून मुख्यमंत्री आवास से शुरू हुई साइकिल रैली पहले दिन ऋषिकेश होते हुए श्रीनगर में पहुँची। दूसरे दिन श्रीनगर से रवाना होते हुए रुद्रप्रयाग और फिर दूसरे दिन का विश्राम हॉलीडेज होम कर्णप्रयाग में हुआ। तीसरे दिन सुबह 6 बजे मिलेट क्राँति साइकिल रैली कर्णप्रयाग स्थित हॉलीडेज होम से अपने अन्तिम पड़ाव मुन्दोली के लिए निकली। साइकिल रैली के दौरान आम जनता को मिलेट उत्पादों के प्रति जागरूक करने के साथ ही मिलेट्स खेती के प्रति प्रोत्साहित भी किया गाया।


यह है रैली का मक़सद।
भारत सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है। देश में भी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इसकी सार्थक पहल की गई है। उत्तराखण्ड में मोटे अनाज का उत्पादन अधिक होने के बावजूद कम जागरूकता है, इसी लिए चमोली ज़िले की बेटी नथुली संस्था की संस्थापिका सुमन नैनवाल ने यह बीड़ा उठाया। उन्होंने इस रैली का आयोजन कर ग्रामीणों को मोटे अनाजों के प्रचार प्रसार के लिए प्रेरित करने के साथ ही उन्हें इसका मार्केट उपलब्ध कराने का भी निर्णय लिया। इस रैली के दौरान संस्था की संस्थापक सुमन नैनवाल द्वारा ग्रामीणों को मोटे अनाजों के बेहतर रख रखाव और देश तथा विदेशो में बढ़ती डिमांड के लिए नए तौर तरीके बताये गए। जिसमें फसल की गुणवत्ता के आधार पर अन्न की ग्रेडिंग करके, पैकजिंग, एवं उचित बाजार को ढूंढना मुख्य है। उन्होंने बताया कि बाजारीकरण के इस दौर में किसी भी प्रोडक्ट को बेचने तथा उसका उचित मूल्य प्राप्त करने के लिए उसको प्रदर्शित करने का तरीका एक मुख्य भूमिका निभाता है।

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