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देश को समान नागरिक संहिता (UCC) की राह दिखाएगा उत्तराखण्ड

देश को समान नागरिक संहिता की राह दिखाएगा उत्तराखण्ड

सीएम धामी के नेतृत्व में अंतिम चरण में UCC का ड्राफ्ट

UCC लागू करने वाले देश के पहले मुख्यमंत्री होंगे सीएम धामी
उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री धामी का एक बड़ा संकल्प सिद्ध होने जा रहा है। अगले कुछ दिनों में समान नागरिक संहिता को लेकर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। मुख्यमंत्री धामी पहले ही इस बात के स्पष्ट संकेत दे चुके हैं कि जून आख़िरी सप्ताह तक UCC का ड्राफ्ट जनता के सामने आ सकता है। बतौर मुख्यमंत्री धामी ने बीते वर्ष मार्च महीने में प्रदेश में ‘उत्तराखण्ड में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) लागू करने का वायदा किया था। जिसके बाद सरकार में आने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में धामी सरकार ने UCC पर कमेटी बनाई तब से ही यह विषय समूचे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है।

समान नागरिक संहिता का मतलब है कि सभी धर्मों के लिए एक ही कानून। इसके जरिए हर धर्म के लोगों को एक समान कानून की परिधि में लाया जाएगा। शादी, तलाक, संपत्ति और गोद लेने समेत तमाम विषय इसमें शामिल होंगे। भले ही कुछ लोग इसे राजनीतिक मुद्दा समझें और सियासी मोड़ दें, लेकिन तमाम हाई कोर्ट (खासकर दिल्ली हाई कोर्ट) से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने के पक्ष में हैं। सुप्रीम कोर्ट मौजूदा केंद्र सरकार से इस संबंध में अब तक की गई कोशिशों के बारे में पूछ चुका है, जिसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि भारतीय विधि आयोग से राय मांगी गई है।

हर वर्ग की राय ले चुकी UCC कमेटी

धामी सरकार द्वारा रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में गठित ड्राफ्ट कमेटी प्रदेश में हर वर्ग, हर समुदाय, हर जाति के प्रमुख हितधारकों से बातचीत कर चुकी है। इधर मुख्यमंत्री धामी का समान नागरिक संहिता को लेकर रुख़ स्पष्ट है।
भाजपा के 2019 के चुनावी घोषणा पत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। लिहाज़ा यह उम्मीद जताई जा रही है कि उत्तराखण्ड में लागू होते ही इसे देशभर में भी लागू किया जा सकता है। धामी अगर इसमें सफल हो गए तो राष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी विशिष्ट छवि बन जायेगी और जनहित का कानून भी लागू हो जायेगा।

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