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देश के प्रति बलिदान और 77 वर्ष के त्याग के प्रतिरूप निर्मित शहीद द्वार का भव्य उद्घाटन

 

देश के प्रति बलिदान और 77 वर्ष के त्याग के प्रतिरूप निर्मित शहीद द्वार का भव्य उद्घाटन।
जनपद के बढ़ावे गांव के शहीद सिपाही पूर्णानंद जोशी शहीद द्वारका आज भव्यता के साथ उद्घाटन किया गया जिसमें बड़ी संख्या पर पूर्व सैनिक तथा आम जनमानस उपस्थित रहे।
देश के लिए 1948 में 3 पैरा स्पेशल फोर्स के सिपाही पूर्णानंद जोशी जो की 3 पैरा स्पेशल फोर्स पर कार्यरत थे उस समय केवल 20 वर्ष के थे और घर पर उनकी 14 वर्ष की पत्नी श्रीमती धना देवी, जिनसे शादी करने के बाद वह जब सीमा पर गए तो दोबारा लौट कर नहीं आए ,और ऐसे शहीद के बलिदान को आधार बनाकर अपना जीवन को साध्वी का रूप देने वाली 91 वर्ष की उनकी पत्नी श्रीमती धना देवी जी द्वारा इस द्वार को बनते हुए देखना एक अभूतपूर्व पल रहा ।आज उद्घाटन समारोह पर हर कोई उसे बलिदान को तो याद कर ही रहा था साथ ही साथ ऐसे नारी को और उनके ऐसे त्याग को भी हर कोई नमन कर रहा था।


14 अप्रैल 1921 को बड़ाबे के मल्लागांव निवासी श्री दुर्गा दत्त जोशी और श्रीमती कुंती देवी ज़ी के घर में पूर्णानन्द जोशी का जन्म हुआ था. बचपन से ही देश भक्ति और फ़ौजी बनने का सपना देखने वाले पूर्णा नन्द 14 अप्रैल 1944 को कुमाऊं रेजिमेंट मे भर्ती हुए. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वे 1st कुमाऊं रेजिमेंट मे पोस्टिंग हुए बाद मे 3 Para (SF) मे उनका स्थानांतरण हुवा.
सन 1948 मे उनकी शादी धाना जोशी ज़ी के साथ हुई, उस समय वे मात्र 14 बर्ष की थीं.

शादी के तुरंत बाद ही 1948 मे जम्मू कश्मीर मे पाकिस्तान के साथ लड़ाई शुरू हो गई. इस ऑपरेशन के दौरान शौलाटेक इलाके मे पाक सेना के साथ संघर्ष मे पूर्णा नन्द जोशी ज़ी ने अदम्य साहस और शौर्य का परिचय देते हुए पाक सेना को वापस खदेड़ने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन इसी दौरान वे शत्रु की गोलियों के शिकार हो गये और भारत माता की रक्षा करते करते 05 जून 1948 को वीर गति को प्राप्त हो गये. लेकिन कई सालों तक उनको शहीद का दर्जा नहीं दिया गया, उसके बाद उनके भतीजे गिरीश चंद्र जोशी द्वारा इसके लिए लड़ाई लड़ी और उन्होंने PCDA Allahabad और प्रयागराज हाई कोर्ट मे लड़ाई लड़ी तब कोर्ट के आदेश के बाद उनको शहीद का दर्जा मिला.

उसके बाद उनके भतीजे गिरीश चंद्र जोशी ज़ी के अथक प्रयासों और माननीय विधायक मयूख महर ज़ी के सहयोग से बड़ाबे गाँव मे इस शहीद द्वार का निर्माण किया गया.

आज इस शहीद द्वार और स्मृति पटल का उद्घाटन मुख्य अतिथि विधायक मयूख महर ज़ी, वीरांगना धाना जोशी ज़ी और संगठन के अध्यक्ष मेजर ललित सामंत द्वारा किया गया.
उद्घाटन में बड़ी संख्या मे पूर्व सैनिक, गाँव की मातृ शक्ति, स्कूली बच्चों और शहीद के परिवार और मित्र गण उपस्थित रहे.
माननीय विधायक ज़ी द्वारा रिबेन काटकर द्वार का उद्घाटन किया गया. श्रीमती धाना जोशी और संगठन के अध्यक्ष द्वारा स्मृति पटल का उद्घाटन किया गया. शहीद के यूनिट के 3 Para के पूर्व सैनिकों, सभी उपस्थित पूर्व सैनिको, और अन्य जन मानस द्वारा पुष्प अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. अंत मे संगठन द्वारा वीरांगना धाना जोशी ज़ी को सौल ओड़ाकर सम्मान दिया गया. वहीँ गिरीश चंद्र जोशी ज़ी द्वारा संगठन को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया. भारत माता की जय और शहीद पूर्णा नन्द अमर रहीं जयकारों के साथ समारोह का समापन हुवा.
कार्यक्रम का संचालन कैप्टेन laxman deopa साहब द्वारा किया गया।

इस कार्यक्रम मे आम जनमानस, शहीद के परिवार् जन गिरीश जोशी, प्रयागदत्त जोशी, गाँव के पूर्व सैनिक SM LD Joshi, SM Ghanshyam Joshi, 3 Para परिवार के पूर्व सैनिक, SM Ramesh Mahar, Diwakar Bohra, GS Khanka, Prahlad Bohra, Capt Sher Singh Shahi, Capt Prakash Singh आदि उपस्थित रहे.

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